प्रश्नकर्ता : बिना पुरोहित के घर पर स्वयं अपने पितरों का श्राद्ध कैसे करें?
आचार्यश्री : श्राद्ध के दिन सुवह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें। तत्पश्चात मुहूर्त अनुसार घर की दक्षिण दिशा में एक चौकी रख कर, उस पर हरे रंग का कपड़ा बिछाएं। चौकी पर मृत परिजन की तस्वीर या फोटो रखें। फोटो पर माला, फूल चढ़ाएं और उनके समीप काले तिल का दीपक और धूप बत्ती जला दें। तस्वीर पर गंगा जल और तुलसी दल अर्पित करें और गायत्री मंत्र के द्वारा हवन करें। तत्पश्चात श्राद्ध के उपयुक्त सादा भोजन बना कर घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें। गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया तथा ब्राह्मण अथवा किसी गरीब को भोजन कराएं तथा यथाशक्ति दान दें। इस दिन तुलसी का पूजन भी करना चाहिए, तुलसी पर जल चढ़ा कर उनके समीप दिया जलाएं।
जलांजलि देने की विधि –
दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं और दाहिने हाथ में कुशा रख लें। अब अपने गोत्र का नाम लेते हुए पितरों का आह्वान करते हुए कहें कि “हे पितर! कृपा कर मेरी ये जलांजलि स्वीकार करें!”
अगर अपने पिता, पितामह आदि के लिए तर्पण कर रहे हों, तो पिता, पितामह आदि का नाम लेते हुए कहें – मैं अपने पिता (नाम) की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूं/ करती हूं। “तस्मै स्वधा नम:” और दूसरे पात्र में जल छोड़ें।
इसी विधि का पालन करते हुए माता, दादा, दादी आदि के लिए भी करें। मंत्र में हर पुरुष पितर के लिए “तस्मै स्वधा नम:!” और हर महिला पितर के लिए “तस्यै स्वधा नम:!” कहें।
माता के लिए निम्न प्रकार से जलांजलि दें-
तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र को पढ़कर जलांजलि पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
माता के अतिरिक्त अन्य सभी पितरों को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तीन बार जलांजलि देनी चाहिए।
(तर्पण के लिए जल बनाने की विधि- एक बर्तन में शुद्ध जल लेकर इसमें थोड़ी मात्रा में गंगाजल मिलाएं। अब इसमें दूध, जौ, काले तिल, चावल और चंदन डालकर अच्छी तरह मिला लें।)